अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।
वैज्ञानिक बन गये हैं सब पाखंडी,
विद्वान हो गया है हर हर शिखंडी,
अब कौन किसकॊ रोके नरेश।
अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।
साहित्यकार बन गये सब कायर,
बुज़दिल हो गये हैं सारे शायर,
कौन कहे कि राजा नग्न वेश।
अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।
राजा का चल रहा है राज,
जनता का गल रहा है ताज,
फल रहा अनाचार निर्निमेष।
अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।
भूखे को अन्न न प्यासे को पानी
मूर्ख को ज्ञान न राजा को रानी,
भारत माँ के दिल कॊ भारी ठेस।
अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।
न्याय की आँखें अब चार चार,
ऊँच नीच देखे है दीदे कॊ फाड़,
न्याय देवी के रहे न वस्त्र शेष।
अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।
न्याय-अन्याय की हो गई शादी,
धन, धर्म, सत्ता की बढ़ी आबादी,
जन की चिंता कौन करे जनेश।
अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।
आऒ अब कुछ ऐसा यूँ करें,
जिसकी भैंस हो वही लाठी धरे,
तभी मिटेगा जन का क्लेश
अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।
जंगल पहाड़ पर जॊ पूँजी काबिज़,
कैसे रहेगी धरती हरियाली साबित,
अब न करने दें धनिकॊं कॊ ऐश
अपना देश बड़ा प्यारा देश,
जिसकी लाठी उसी की भैंस।